Friday, 12 August 2016

कविता: तब बात हो कोई।

तब बात हो कोई।



बेतरबीब सी बिखरी पड़ी है सवालों-चिंताओं की नस्लें, 
कभी जवाब पाने का सब्र पाल पाएं,
तब बात हो कोई।

सूरते-सीरत-शख्सियत से बावस्ता तो सब हैं यहाँ, 
गर इश्क़ किसी बेग़रज़-उपजाऊ ख़्याल से हो जाये 
तब बात हो कोई। 

ताउम्र बड़प्पन की जुगत में कटती इस जिंदगी में, 
थोड़ी सी उम्र बेउम्री में कट जाए 
तब बात हो कोई। 

रेशमी चादरों में लिपटे रेशमी स्वप्न तो देखे बहुत से, 
रेत की चटाई में भी वही सुकुनियत मिल जाये  
तब बात हो कोई। 

तारीफ़ नहीं कोई मज़बूरी की चिट्ठियाँ डांक कर देने में, 
कभी उस लिफ़ाफ़े में हिम्म्मत का पता लिखा जाये  
तब बात हो कोई।

चालाकी सीख पाने की ज़हीनियत है जहान में, 
कच्चे-कोरे चेहरों से कोई सच्चाई पढ़ पाए
तब बात हो कोई।

शोहरते-इतरन होना तो है कुछ लाज़मी सा, 
महज़ चलती साँसों की ख़ुशनसीबी भी समझ आये,
तब बात हो कोई।

मशहूरियत के मंच पर जी भर जी लें ठिठोली,
पर ग़ुमनामी की पिछली कुर्सी में भी खुशमिजाज़ी ढूंढ पाये  
तब बात हो कोई।

अपने और अपनों का रंज तो उठाती है दुनियां, 
अपने आईने में किसी और का दर्दे-अक़्स देख पाएं  
तब बात हो कोई। 

बाग़ीचों-महलों से दोस्ती निभा पाना तो है ठीक, 
तपती सड़कों से भी ठीक वही सोहबत निभाएं   
तब बात हो कोई।

शानोशौक़त की फ़तहे-होड़ में है हम सभी, 
कभी सादगी भी सनक बन चढ़ जाये 
तब बात हो कोई।

बर्ताव-दुरुस्ती के सलीक़े तो है कई इज़ाद,  
अब अक्खड़पन को भी तहज़ीबे-तालीम मिल जाये 
तब बात हो कोई।

अपने-अपने सपनों की अपनी-अपनी सी मदहोश थकान, 
कभी कोई दूसरों के बेगरज. ख़्वाब अपनाएं  
तब बात हो कोई।

वक़्त-बेवक़्त शक़-शिकवा में जीने की आदत सी पड़ गयी, 
कुछ पल यक़ीन सी नीयत में बिताएं 
तब बात हो कोई।

यारों के घर याराना निभा पाने में क्या गरज है, 
कभी दुश्मनों के मुहल्ले में दोस्ती से टहल आयें 
तब बात हो कोई। 

पंडित-इमाम-पादरी तो आज साथ मिल नहीं पाते, 
अपने कबीर से कमसकम तुलसीदास को मिला पाएं 
तब बात हो कोई।

आज़ाद चमकते देश की रिश्तेदार है हर कौम, 
वतन के मायूस मुफ़लिस माहौल अपनाएं 
तब बात हो कोई।

दुनिया बदलने के ग़म तो उठा चुके बहुतेरे, 
तनिक ख़ुद की तबदीली में मेरी तबीयत जुट जाएं  
तब बात हो कोई।

ख़ुदाई की आस में आंसू ज़ाया करना है कुछ आम सा,  
कभी खुदी में खुदा जान दिल से मुस्कुराये 
तब बात हो कोई।

-गोल्डी तिवारी। 

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